Nafrat Ki Jeet (नफ़रत की जीत) a beautiful Kavita on Delhi Riots 2020
नफ़रत की जीत (Nafrat Ki Jeet)
मैं आप सभी को बताना चाहता हूँ के मैंने यह कविता तब लिखी है जब देश की राजधानी दिल्ली में 2020 में हिन्दू - मुस्लिम दंगे चल रहे हैं और उस दंगे की वजह से बहुत सारे लोगों की जान चली गई है। इस कविता से मैं लोगों को बस ये संदेश देना चाहता हूँ की आप लोग नफ़रत को जितने ना दें। हमारी जो हिंदुस्तानी तहज़ीब है गंगा-जमनी तहज़ीब जिसमे हम सब हिन्दू-मुस्लिम भाई-चारे के साथ आपस में मिलकर रहते हैं उसको बचाए और सब मिल कर नफ़रत को हराएँ।
जब लाइब्रेरी में पुलिस घुसाई जाए।
जब छात्रों को पिटवाई जाए।
जब लोगों की आवाज़ दबाई जाए।
समझ जाना नफ़रत की जीत है।
जब नेता आग उगलने लगे।
जब एकता में फूट पलने लगे।
जब सड़क पर गोली चलने लगे।
समझ जाना नफ़रत की जीत है।
जब सड़कों पर मोत घूमने लगे।
जब आँखों को अंधकार चूमने लगे।
जब नफरती-नारा गूंजने लगे।
समझ जाना नफ़रत की जीत है।
जब धर्म के इदारों को तोड़ा जाए।
जब स्कूलों को भी ना छोड़ा जाए
जब लोगों का गर्दन मरोड़ा जाए।
समझ जाना नफ़रत की जीत है।
जब लोगों की दुकानों को लूटा जाए।
जब सड़क पर किसी को कुटा जाए।
जब नफ़रत से दिल फूटा जाए।
समझ जाना नफ़रत की जीत है।
जब बाज़ारों को जलाई जाए।
जब पेट्रोल पंप भी सुलगाई जाए।
जब घरों को आग लगाई जाए।
समझ जाना नफ़रत की जीत है।
जब ऐसा सब कुछ होने लगे।
जब लोग अपनों खोने लगे।
तुम ऐसा कुछ कर जाना।
तुम इस नफ़रत को हराना।
मो० सबा आलम (शहज़ादा)
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Reviewed by Shahzada
on
February 27, 2020
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